दिल्ली की राज्य पक्षी कहे जाने वाली गोरैया पहले हर किसी के घर में चहकती
हुई, दाना चुगते हुए बड़ी ही आसानी से दिख जाया करती थी। कुछ समय से जैसे ये लुप्त सी
हो गई थी। लेकिन अंधेरे में दिखने वाली एक उम्मीद की किरण की तरह धीरे- धीरे ये वापस दिखने
लगी हैं। 20 मार्च के दिन पूरा विश्व गोरैया दिवस मनाता है। इसका उद्देश्य लोगों के बीच गोरैया की लुप्त होती प्रजाति के प्रति जागरूकता फैलाना व इनके संरक्षण के लिए
अहम कदम उठाना है।
गोरैया का वैज्ञानिक नाम पासर डोमेस्टिक है। इसे हाउस स्पैरो भी कहा
जाता है। पहली बार 20 मार्च 2010 के दिन विश्व के लगभग 50 देशों ने विश्व गौरैया दिवस मनाया। यह नेचर फॉरेवर सोसाइटी ऑफ इंडिया के साथ फ़्रांस की एकोसेज एक्शन
फाउंडेशन की भी कोशिशों का परिणाम है। नेचर फॉरेवर सोसाइटी ऑफ इंडिया के द्वारा चलाया
गया अभियान घोंसला अपनाएं भी लोगों द्वारा काफी सराहा गया।
छोटी सी, सबका मन मोह लेने
वाली गोरैया की लंबाई 21 सेमी., ऊंचाई 16 सेमी. और वजन कुछ 25 से 40 ग्राम के आसपास
होता है। इनकी समय से इनकी संख्या दिन प्रतिदिन घटती ही जा रही थी। लेकिन कोरोना काल में लॉकडाउन होने
के कारण व पर्यावरण में थोड़ा सुधार होने से इनकी झलक वापस से दिखने लगी है। यमुना बायो
डाइवर्सिटी पार्क के आस पास गोरैया के होने से ऐसा लगता है कि अभी यह पूरी तरह से गायब नहीं हुई है और ये बहुत मुश्किल नहीं कि गौरैया वापस पहले की तरह ही हमारे आँगनों में चहकते
हुए दिखने लगे।